स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण ‘आदमी’ फौजी जवान क्यों समझने लगता था?

स्कूल के आम दिनों में लेखक ज्यादा साफ सुथरे कपड़े पहन कर स्कूल नहीं जा पाता था लेकिन स्काउट परेड में उनको साफ-सुथरे धोबी से धुले कपड़े पहन कर जाना होता था। इसके अलावा परेड में वे पॉलिश किए हुए जूते और जुराबें पहन कर जाते। इन कपड़ों और जूतों में लेखक ठक-ठक करके चलते थे और इस समय वे आपने आपको फौजी से कम नहीं समझते थे। इसके अलावा जब पीटी मास्टर परेड करवाया करते तो उनके आदेश पर लेफ्ट-राइट या अबाउट टर्न को सुनकर वे छोटे-छोटे बूटों की एड़ियों पर दाएं-बाएं या एक कदम पीछे मुड़कर बूटों की ठक ठक करते अकड़कर चलते थे। इसलिए उन्हें ऐसा लगता कि वे आम इंसान नहीं बल्कि बहुत महत्वपूर्ण आदमी हो जैसे कि कोई फौजी जवान।


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